शशि थरूर ने उठाया केरल की तुर्की को 10 करोड़ की मदद का मुद्दा – क्या बीजेपी की ओर झुकाव का संकेत है?

2023 में जब तुर्की भूकंप से तबाह हो रहा था, तब भारत के केरल राज्य ने 10 करोड़ रुपये की मानवीय सहायता भेजी थी। अब, दो साल बाद कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस मदद पर सवाल उठाकर एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है।

उनकी इस टिप्पणी से केरल की राजनीति में गर्माहट आ गई है और अटकलें तेज़ हो गई हैं – क्या थरूर का रुख बीजेपी के करीब जा रहा है? या फिर यह कांग्रेस के भीतर दबाव बनाने की एक रणनीति है?

इस लेख में हम जानेंगे:


🔹 क्या कहा शशि थरूर ने?

शशि थरूर ने सोशल मीडिया (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा:

“दो साल बाद तुर्की के व्यवहार को देखकर उम्मीद है केरल सरकार अपनी उदारता पर पुनर्विचार करेगी। वायनाड के लोगों के लिए ये दस करोड़ कहीं ज़्यादा उपयोगी होते।”

उनका इशारा इस बात की ओर था कि तुर्की ने हाल के दिनों में पाकिस्तान का समर्थन किया है, खासकर भारत-पाक संघर्षों के दौरान।


🔹 वामपंथी सरकार की प्रतिक्रिया

CPM सांसद जॉन ब्रिटास ने थरूर पर पलटवार करते हुए कहा:

“यह एकतरफा बयान है। थरूर खुद जानते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार ने भी ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत तुर्की को मदद भेजी थी।”

केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने भी बयान जारी कर कहा:

  • “यह कोई बेवजह उदारता नहीं थी। 2023 में जब तुर्की में विनाशकारी भूकंप आया था, तब यह मदद मानवीय दृष्टिकोण से दी गई थी। इसे अब राजनीतिक नजरिए से देखना गलत है।”


🔹 कांग्रेस में असहजता और उठते सवाल

थरूर की टिप्पणी से कांग्रेस के अंदर भी हलचल है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि:

  • वे कांग्रेस नेतृत्व को संदेश दे रहे हैं।

  • संभव है कि वे केरल में मुख्यमंत्री बनने की मंशा जता रहे हों।

  • कुछ लोग इसे हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश भी मान रहे हैं।

पूर्व कुलपति प्रो. जे. प्रभाष के अनुसार:

“थरूर अपनी पार्टी के भीतर मजबूत स्थिति बनाना चाहते हैं। ये बयान केवल तुर्की या भूकंप पर नहीं, बल्कि पार्टी में नेतृत्व के लिए भी है।”


🔹 बीजेपी से नज़दीकी या रणनीतिक चुप्पी?

हाल ही में जब केंद्र ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा, उसमें थरूर को प्रमुखता से शामिल किया गया। दिलचस्प बात ये रही कि उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को इसकी पूर्व जानकारी नहीं दी।

राज्यसभा के पूर्व डिप्टी चेयरमैन पीजे कुरियन ने तो साफ तौर पर कहा:

“अगर कोई सोचता है कि थरूर बीजेपी की ओर झुक रहे हैं, तो यह शक अब पुख्ता हो चुका है।”


🔹 थरूर की विचारधारा और व्यवहारिक राजनीति

वरिष्ठ पत्रकार एमजी राधाकृष्णन, जिन्होंने थरूर को राजनीति में लाने में अहम भूमिका निभाई थी, मानते हैं:

  • थरूर बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ रहे हैं।

  • उन्होंने किताब ‘Why I Am A Hindu’ में खुद को “गर्वित हिंदू” बताया, पर हिंदुत्व की आलोचना की।

  • लेकिन अब वे विचारधारा से ज्यादा व्यावहारिकता को महत्व दे रहे हैं।

उनके मुताबिक:

“थरूर का बीजेपी में जाना अब भी मुश्किल है, लेकिन राजनीति का खिंचाव अजीब होता है – जॉर्ज फर्नांडिस भी कभी बीजेपी के साथ थे, कौन जानता है आगे क्या हो?”


🔹 क्या संदेश देना चाहते हैं थरूर?

थरूर के पोस्ट की टाइमिंग और शब्दों का चुनाव इस बात की ओर इशारा करता है कि वे बहुस्तरीय संदेश दे रहे हैं:

  • प्रियंका गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड की दुर्दशा और सरकार की प्राथमिकता पर सवाल।

  • तृतीय विश्व के प्रति भारत की विदेश नीति की आलोचना।

  • कांग्रेस नेतृत्व को स्पष्ट संकेत कि वह खुद को उपेक्षित नहीं मानते।


🔹 निष्कर्ष: क्या केरल की मदद पर उठे सवाल राजनीति बदलेंगे?

थरूर की तुर्की मदद पर टिप्पणी केवल एक सोशल मीडिया पोस्ट नहीं थी, यह एक सामरिक, राजनीतिक और वैचारिक चाल थी।

जहां एक ओर वे कांग्रेस के भीतर अपनी स्थिति मज़बूत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी से संभावित संवाद की संभावनाएं भी जता रहे हैं।

यह मामला केवल 10 करोड़ की मानवीय मदद तक सीमित नहीं, बल्कि थरूर की राजनीतिक दिशा, विचारधारा और महत्वाकांक्षाओं का संकेत देता है।


🔎 उपयोगकर्ता के सवालों का उत्तर

Q. केरल ने तुर्की को मदद क्यों भेजी थी?
→ 2023 के विनाशकारी भूकंप के दौरान, केरल सरकार ने 10 करोड़ रुपये की मानवीय सहायता दी थी।

Q. शशि थरूर ने इस मदद पर सवाल क्यों उठाया?
→ थरूर का कहना है कि तुर्की ने बाद में भारत विरोधी रुख अपनाया और ये फंड स्थानीय आपदा राहत में इस्तेमाल हो सकते थे।

Q. क्या शशि थरूर बीजेपी की ओर जा रहे हैं?
→ फिलहाल यह साफ नहीं है, लेकिन उनकी टिप्पणियों और गतिविधियों से ऐसा संकेत मिल रहा है।

Q. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया दी?
→ पार्टी के कई वरिष्ठ नेता थरूर के रुख से असहमत हैं और उन्हें पार्टी लाइन के खिलाफ मानते हैं।

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