जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥
जय अम्बे गौरी…
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्र वदन नीको ॥
कनक समान काया, कंचन रथ राजत।
रत्न जड़ित मुकुट शोभित, नागें तन साजत ॥
केहरि वाहन राजत, खडग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनि जन सेवत, तिनके दुख हारी ॥
कनक और पूजन थारी, फूल चढ़ें अनूपा।
लड्डू मेवा नैवेद्य, चढ़ें श्रृंगार रूपा ॥
शुभ्र वस्त्र परी शोभित, नीले वर बाँका।
रतन सिंहासन राजत, टीको मस्तक झांका ॥
श्री मंगल गौरी अम्बे, जय शिव-पटटीनी।
जो जन तुमको ध्यावत, संकट हरिनी ॥