ईरान-अमेरिका-इज़राइल विवाद: क्या ये पूरा हमला पहले से तय था? जानिए पूरा सच

मिडिल ईस्ट में हाल ही में जो हुआ, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इज़राइल ने ईरान पर हमला किया, ईरान ने पलटवार किया, अमेरिका भी मैदान में उतर आया। लेकिन फिर अचानक युद्धविराम (Ceasefire) की घोषणा हो गई। सवाल उठने लगे — क्या ये सब पहले से तय था? क्या अमेरिका, ईरान और इज़राइल ने आपस में “बोल बताकर” ये हमला किया?

सुनने में फिल्मी लग सकता है, लेकिन घटनाक्रम पर नजर डालें तो कुछ बातें इशारा करती हैं कि खेल कहीं न कहीं ‘मैनेज’ किया गया था।

पूरा घटनाक्रम: कब क्या हुआ?

  • 22 जून: अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स पर मिसाइल हमला किया।
  • 23 जून: जवाब में ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने ‘अल-उदीद’ पर मिसाइल दागी।
  • 24 जून: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम का ऐलान कर दिया।

ईरान ने हमला करने से पहले दी थी जानकारी!

सबसे दिलचस्प बात ये रही कि ईरान ने हमला करने से पहले ही अमेरिका और कतर को बता दिया था कि वो मिसाइल दागने वाला है। यानी इत्तला देकर हमला। इसका खुलासा खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल‘ पर किया। उन्होंने लिखा:

“किसी भी अमेरिकी सैनिक को नुकसान नहीं पहुंचा। मैं ईरान को पहले से सूचित करने के लिए धन्यवाद देता हूं। उम्मीद है कि अब क्षेत्र में शांति आएगी।”

यानी ईरान ने हमला किया, लेकिन पहले बता दिया ताकि जान-माल का नुकसान न हो।

अमेरिका ने भी ईरान को दी थी ‘वार्निंग’

दरअसल, ईरान ने भी ‘एहसान’ चुकाया। 21-22 जून की रात जब अमेरिका ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया, उससे पहले खुद अमेरिका ने भी ईरान को बता दिया था कि वो हमला करने वाला है।

इस ‘सूचना’ के बाद ईरान ने भी तेजी से अपने यूरेनियम स्टॉक को साइट से हटा लिया। अरब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने हमले से पहले ही 60%, 20%, और 3.67% शुद्धता वाले यूरेनियम को फोर्डो साइट से हटा दिया था।

हमले में हुआ क्या?

  • न्यूक्लियर साइट्स खाली कर लेने के कारण अमेरिकी हमले में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
  • न यूरेनियम स्टॉक खत्म हुआ, न संवर्धन की ताकत घटी।
  • हमले की खबरें जरूर दुनिया भर में फैलीं।

भविष्य में क्या होगा? ईरान के पास अब ‘बार्गेनिंग चिप’

अब ईरान के पास ऐसा यूरेनियम स्टॉक है, जो शायद किसी सुरक्षित जगह पर छुपा हुआ है। अगर भविष्य में अमेरिका और ईरान के बीच न्यूक्लियर डील पर बातचीत होती है, तो ईरान के पास ये ‘बार्गेनिंग चिप’ यानी सौदेबाजी का मजबूत आधार होगा।

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं? मैच फिक्स की बू

कई जानकार मानते हैं कि ये पूरा घटनाक्रम ‘मैच फिक्स’ जैसा लगता है।

  • इज़राइल ने अपने तय उद्देश्य पूरे किए।
  • ईरान को पता था कि हमले को रोकना मुश्किल है।
  • कतर में ईरानी हमले से पहले एयरस्पेस बंद कर दिया गया।
  • अमेरिका ने भी हमले से पहले ईरान को बता दिया था।
  • ईरान ने जवाबी हमले से पहले अमेरिकी ठिकानों को सूचना दी।

इतिहास पर नजर डालें तो ये नई बात नहीं।

पहली बार भी दी थी सूचना

जब ईरान ने इज़राइल पर ड्रोन हमला किया था, उससे चार घंटे पहले ही ईरानी टीवी पर इसकी घोषणा कर दी गई थी। ड्रोन धीमी गति से चलते हैं, ऐसे में इज़राइल को पहले से पता था कि हमला होने वाला है।

नतीजा? सबको चेता दिया गया, किसी की जान नहीं गई, लेकिन ‘ताकत’ दिखाने का खेल हो गया।

क्या यह मिडिल ईस्ट में नई रणनीति है?

  • जानबूझकर हमलों की ‘सूचना’ देकर टकराव को सीमित रखना।
  • सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना, लेकिन खुला युद्ध टालना।
  • जनता को दिखाना कि सरकारें एक्शन में हैं, जबकि पर्दे के पीछे बातचीत भी जारी रहती है।

निष्कर्ष: असली लड़ाई कम, दिखावा ज़्यादा?

इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि मिडिल ईस्ट में सिर्फ हथियार नहीं, दिमाग भी चल रहे हैं। हो सकता है कि ये खेल जानबूझकर ‘नियंत्रित’ किया जा रहा हो, ताकि नुकसान कम हो और राजनीतिक लाभ ज्यादा।


अगली अपडेट्स और विश्लेषण के लिए जुड़े रहिए।

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