भारत की साइबर सुरक्षा प्रणाली को झकझोर देने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। गुजरात एंटी टेररिज़्म स्क्वाड (ATS) ने नडियाद के रहने वाले 18 वर्षीय जसिम शहनवाज़ अंसारी को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इस किशोर ने अकेले 50 से ज्यादा सरकारी वेबसाइट्स पर साइबर अटैक किए, वो भी ऐसे समय जब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था—जो कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया सैन्य अभियान था।
कौन है जसिम अंसारी और कैसे हुआ साइबर अटैक?
जसिम 12वीं कक्षा का विज्ञान वर्ग का छात्र है, जिसने हाल ही में अपनी परीक्षा में फेल हो गया था। वह कुछ अन्य नाबालिगों के साथ मिलकर ‘AnonSec’ नाम का टेलीग्राम ग्रुप चलाता था, जिसमें भारत की रक्षा, वित्त, विमानन और शहरी विकास से जुड़ी वेबसाइट्स को निशाना बनाया गया।
कैसे हुए हमले?
-
DDoS (डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस) अटैक: जिससे वेबसाइट्स ठप हो जाती हैं।
-
GitHub और Termux जैसे ओपन-सोर्स टूल्स का इस्तेमाल।
-
YouTube ट्यूटोरियल से सीखा प्रोग्रामिंग और PyDroid जैसे ऐप से अटैक को अंजाम दिया।
-
वेबसाइट डिफेस कर लिखे गए संदेश: “India may have started it, but we will finish it.”
क्या थे इन साइबर हमलों के उद्देश्य?
इन हमलों का मकसद न सिर्फ सरकारी सिस्टम को बाधित करना था, बल्कि भारत विरोधी संदेश फैलाना और साइबर युद्ध जैसी स्थिति बनाना भी था। चूंकि ये हमले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए, इसलिए भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसे गंभीरता से लिया और गहराई से जांच शुरू की।
जांच में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई
ATS ने इन टेलीग्राम चैनलों की निगरानी के बाद जसिम की पहचान की। हैरानी की बात यह है कि इस ग्रुप में ज्यादातर किशोर ही शामिल थे। कम उम्र में ही ये युवा तकनीकी कौशल से लैस होकर देश के खिलाफ साइबर हथियार बना रहे हैं।
प्रमुख खुलासे:
-
एक और 17 वर्षीय नाबालिग पर भी नजर है।
-
विदेशी ताकतों की भूमिका की भी जांच जारी है।
-
AnonSec ग्रुप में खुलेआम अटैक की योजना साझा की जाती थी।
क्या है कानूनी स्थिति?
ATS ने जसिम अंसारी के खिलाफ IT Act की धारा 43 और 66F के तहत मुकदमा दर्ज किया है, जो साइबर आतंकवाद से जुड़ी धाराएं हैं।
संभावित सज़ा:
-
कठोर दंड
-
किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेशी
-
विदेशी नेटवर्क से संबंध मिलने पर UAPA जैसी गंभीर धाराएं भी जुड़ सकती हैं
डिजिटल युग की नई चुनौती: किशोर और साइबर आतंकवाद
जैसे-जैसे भारत डिजिटल होता जा रहा है, वैसे-वैसे ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन (चरमपंथ) की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। अब कोई भी किशोर मोबाइल और इंटरनेट की मदद से साइबर वॉरियर बन सकता है। यह घटना इस ओर इशारा करती है कि आने वाले समय में भारत को साइबर फ्रंट पर ज्यादा सतर्क रहना होगा।
निष्कर्ष: क्या हैं इससे मिलने वाले सबक?
जसिम की गिरफ्तारी सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं है, यह एक चेतावनी है कि किस तरह ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म और फ्री टूल्स का गलत इस्तेमाल कर किशोर भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
जरूरी कदम:
-
स्कूल स्तर पर साइबर सुरक्षा और नैतिक हैकिंग की शिक्षा
-
माता-पिता और शिक्षकों की डिजिटल निगरानी
-
सरकारी एजेंसियों के लिए बेहतर मॉनिटरिंग टूल्स
अंतिम विचार: भारत की साइबर सीमाएं अब युवाओं से भी असुरक्षित
आज का हैकर सिर्फ कोई मास्टरमाइंड नहीं, बल्कि कोई किशोर भी हो सकता है जो इंटरनेट से सीखे हुए ज्ञान से बड़ी-बड़ी वेबसाइट्स को घुटनों पर ला सकता है। जसिम अंसारी का केस बताता है कि अब समय आ गया है जब भारत को साइबर राष्ट्रवाद के लिए एक मजबूत रणनीति बनानी होगी।