अमेरिका-ईरान विवाद: सच्ची कहानी और जिओपॉलिटिक्स का असली चेहरा

: क्या ईरान वाकई दुनिया के लिए खतरा है?

अक्सर हमें यही बताया गया है कि ईरान आतंकवाद को बढ़ावा देता है, न्यूक्लियर बम बनाने की कोशिश कर रहा है और पूरी दुनिया को न्यूक्लियर युद्ध के करीब ले जा रहा है। लेकिन क्या वाकई में यही सच है? क्या ईरान ही इस पूरे विवाद का असली दोषी है? या फिर इसके पीछे किसी और की कहानी छिपी है?

इस लेख में हम अमेरिका, ईरान और इज़राइल के रिश्तों का वो सच जानेंगे, जिसे शायद आपको आज तक अधूरा ही बताया गया है।


अमेरिका और ईरान: कभी गहरे दोस्त थे

1950 का दशक: दोस्ती की शुरुआत

  • तेल और न्यूक्लियर डील:
    अमेरिका को ईरान से दो चीजें चाहिए थीं – सस्ता तेल और रणनीतिक भू-भाग (टेरिटरी)। बदले में अमेरिका ने ईरान को पैसा, हथियार और न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी दी।
  • शाह ऑफ ईरान को रॉयल ट्रीटमेंट:
    उस समय ईरान को अमेरिका का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता था। तेहरान में वेस्टर्न संस्कृति इतनी हावी थी कि ईरान के शहर न्यूयॉर्क जैसे लगते थे।

अमेरिका ने ईरान को क्यों न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी दी?

  • अमेरिका ने खुद ईरान को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी दी थी ताकि वह रशिया के प्रभाव को संतुलित कर सके।
  • उस समय अमेरिका चाहता था कि ईरान पश्चिमी दुनिया का मजबूत साथी बने।

दोस्त से दुश्मन बनने की कहानी

ईरान की अंदरूनी समस्या

  • अमीर-गरीब की खाई:
    शाह के समय में ईरान तेजी से विकसित हो रहा था, लेकिन विकास केवल अमीरों के लिए था। गरीब जनता भूख, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रही थी।
  • 1971 की ‘सदी की पार्टी’:
    शाह ने एक ऐसी पार्टी आयोजित की जिस पर 8,000 करोड़ रुपये खर्च हुए। आम जनता के पास रोटी नहीं थी और यहां हजारों किलो खाना बर्बाद किया गया।

1979: ईरानियन रिवोल्यूशन

  • आयोतुल्ला खोमैनी का उदय:
    शाह के खिलाफ जनता सड़क पर उतर आई और आयोतुल्ला खोमैनी ने इस क्रांति का नेतृत्व किया।
  • बड़े फैसले:
    • ईरान को इस्लामिक रिपब्लिक बना दिया गया।
    • अमेरिकी एंबेसी पर हमला, जिसमें 52 अमेरिकन 444 दिनों तक बंधक रहे।
    • ईरान के तेल का राष्ट्रीयकरण, जिससे अमेरिकी कंपनियों को बाहर निकाल दिया गया।

अमेरिका की प्रतिक्रिया: बदला और साजिश

अमेरिका ने कैसे ईरान को तोड़ने की कोशिश की?

  • आर्थिक प्रतिबंध:
    अमेरिका ने ईरान की संपत्ति जब्त की, तेल खरीदने पर बैन लगाया और ईरान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया।
  • ईराक को समर्थन:
    अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन को फंड और हथियार दिए ताकि वह ईरान पर हमला करे।
  • ईरान-इराक युद्ध (1980-1988):
    • अमेरिका ने इराक को सैटेलाइट इमेज, केमिकल वेपन्स के रॉ मटेरियल्स और पूरी रणनीतिक मदद दी।
    • इस युद्ध में करीब 5 लाख लोग मारे गए, जिसमें बड़ी संख्या ईरानियों की थी।

अमेरिका का दोहरा चेहरा

  • जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया, तो अमेरिका ने इराक के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।
  • बाद में 2006 में सद्दाम हुसैन को फांसी दे दी गई।
  • अमेरिका ने जिसे पहले दोस्त बनाया, उसे बाद में खुद ही खत्म कर दिया।

ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम: मजबूरी या खतरा?

ईरान क्यों बना रहा है न्यूक्लियर बम?

  • अमेरिका और उसके सहयोगियों ने ईरान को चारों तरफ से घेर लिया था – अफगानिस्तान, इराक, फारस की खाड़ी और इज़राइल से।
  • ईरान ने खुद को बचाने के लिए न्यूक्लियर बम बनाना शुरू किया।

न्यूक्लियर डील और धोखा

  • 2015 में समझौता (JCPOA):
    ईरान ने अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम सीमित करने पर सहमति दी और अमेरिका ने प्रतिबंध हटाए।
  • 2018 में ट्रंप का यू-टर्न:
    ट्रंप प्रशासन ने डील तोड़ दी और फिर से प्रतिबंध लगा दिए, जिससे ईरान ने कहा – अब हम न्यूक्लियर बम जरूर बनाएंगे।

मौजूदा स्थिति: मिडिल ईस्ट में न्यूक्लियर रेस

  • अगर ईरान बम बनाता है तो सऊदी अरब और UAE भी न्यूक्लियर रेस में शामिल हो सकते हैं।
  • इससे पूरी दुनिया में न्यूक्लियर युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा।

अमेरिका-ईरान विवाद से मिलने वाले 3 बड़े सबक

  1. जिओपॉलिटिक्स में दोस्ती और दुश्मनी स्थायी नहीं होती।
  2. जिओपॉलिटिक्स में नैतिकता केवल दिखावा है, असली खेल सत्ता का है।
  3. जैसे हेनरी किसिंजर ने कहा – “अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक है, लेकिन उसका दोस्त होना जानलेवा है।”

निष्कर्ष: असली दोषी कौन?

ईरान को आतंकवादी राष्ट्र कहना आसान है, लेकिन इतिहास को गहराई से देखें तो यह कहानी अमेरिका की हिपोक्रेसी और सत्ता की भूख को उजागर करती है। ईरान खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है या दुनिया के लिए खतरा बन रहा है – यह फैसला आपको करना है।

कमेंट्स में जरूर बताइए, आपके अनुसार इस कहानी में सही कौन है और गलत कौन?


Leave a Comment